रूठी हुई हो तुम,
तुम्हें कैसे मनाऊँ हे प्रिय।
ऐसा करुँ मैं क्या—
तेरे ह्रदय को झंकृत कर सकूं।
प्रेम तेरा मेरे ह्रदय में हिलोरे ले रहा,
प्रेम का प्याला तेरे ह्रदय में
कैसे छलकाऊं प्रिय।
तुम ही बता दो—
तेरे ह्रदय को कैसे पिघलाऊं प्रिय।
गली के मोड़ से जब मुड़कर देखती थीं तुम मुझे,
मैंने समझा तेरे ह्रदय में भी
प्रेम का दीपक जला।
तेरी ख़ामोशी का क्या मतलब निकालूं हे प्रिय।
तुम जो कह दोगी—
तो तुमसे दूर हो जाऊंगा मैं।
वादा है तुमसे उम्र भर,
तुम्हें ना पाऊँगा मैं।
तेरी नज़र के सामने
फिर कभी ना आऊंगा मैं।
तुम ख़ुश रहो—
ईश्वर से ये दुआ करूंगा मैं सदा।
दे दो इजाज़त दूर से ही
दीदार कर लूँ मैं तेरा।
तेरे उदास अधरों पर
कैसे मुस्कान लाऊँ ओ प्रिय।
तुम ही बता दो—
मैं तुम्हें कैसे मनाऊँ हे प्रिय।
रूठी हुई हो तुम,
तुम्हें कैसे मनाऊँ ओ प्रिय।
— सरिता पाठक


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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