आंधी उमटी ऐसी जीवन में,
सपने मिट गए मेरे जीवन में
श्री राम गए निधिवन में,
आंधी उल्टी ऐसे जीवन में।
आंधी ने राग रंग कोसा ,
आंधी ने चाव स्वरूप भी कोसा ,
अब कब आए नया प्रभात ,
किस सुनाओ अपना स्वाद
आपातकाल नहीं है जीवन
फिर भी हो रहा विवाद,
नया उगेगा फिर आज ईद का चांद ,
केतू जाएगा फिर रेखा फाद
आंधी समेटे अपना रंग ,
किया मेरा पूरा जीवन भग,
रहा वर्षों में भी तंग ,
लड़ी काफी लंबी जंग।
आंधी उल्टी ऐसी जीवन में ,
गयी मेरी प्रिय श्री वन में ,
छाया कोरा अंधकार जीवन में,
उगेगा नया प्रभात सावन में।
आंधी उमती निधिवन में
फुल सारे झड़ जाएंगे ,
महाराणा प्रताप को याद करो
स्वाधीनता के लिए लड़ गए,
निधिवन को फिर से हरा होने दो,
काल को चैन के नींद सोने दो,
सपनों को और रोने दो,
अमृत के फूल बोने दो,
आंधी उमटी ऐसी जीवन में
पथिक सो रहा गहरे तरुवन में,
नाग बैठा मार फन में,,
आंधी निकल गई जीवन से
अब ना पथिक को किसी से भय,
----पथिक || अशोक सुथार

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




