जिस दिन ख़ामोशी से बात करोगे
हर लम्हें को बाहों मे भर जीयोगे
मिट्टी के हर कण की सुवास सांसों में भरोगे
हर जगह की संवेदना का अहसास करोगे
कुदरत की कला एवं प्रकृति से बात करोगे
हर नज़ाकत की अगड़ाई को समझेंगे
दर्पण और परछाई से सत्य जानोगे
हर सच केवल रब में समाया समझोगे
माया के भरम को जब पहचान लोंगे
नफ़रत को त्याग फ़िर स्नेह ही बांटोगे...