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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं तों घूम आयीं अवध नगरिया

मैं तो घूम आयीं अवध नगरिया ✨✨✨✨✨✨✨✨
सखी री मैं तो घूम आयीं अवध नगरिया
सखी री मैं तो घूम आयीं अवध नगरिया
अवध की माटी मैं तो चूम आयी रे
जहां पड़े थे सियाराम के चरनिया
चरण रज उनके माथे सजा आयी रे, माथे सज़ा आयीं रे
सखी री मैं तो घूम --++++
देखा मैंने रामघाट, वीणा लगीं थीं
लता चौक पर पथ के दोनों ओर था रामायण का अंकन
सरजू जी की शोभा अति न्यारी रे
सखी री --------
स्वागत किया अंशुमान ने हमारा सात घोड़ों के रथ पर सवार था प्यारा मन हुआ भाव विभोर हमारा कदम पड़े ज्यों अवध नगरिया शोभा निहारते नयन हमारे सुध बुध खो बैठे थे बेचारे
आ पहुंचे हैं सरकार हनुमंत गढ़िया चलतीं है अब जिनकी अवध में सरकरिया
सखी री ---++-
सीढ़ियां देख हुआ जी हलकान
सीताराम का आया ध्यान राम नाम जपते राम नाम रटते पहुंचे
हम हनुमंत दरबार दर्शन कर लिया उनका आशीर्वाद दिव्य रामलला अब दूर नहीं थे
पैरों में हमारे पंख लगे थें राम लला के दर्शन कर हुए अभिभूत प्राण हमारे
कल्पना से भी अधिक सुंदर है प्रभु हमारे
नयनों में बस गयी थी वह मोहिनी मुरतिया
देखन आये कनक भवन अटरिया
कनक भवन की सुंदर अटरिया
मन मोह ले गयी राम जी की रनिया राम जी कि रनिया हो सीता पटरानियां
सखी री मैं तो घूम ----
दशरथ महल में दशरथ जी विराजें माताओं संग चारों भैया सजल हो गये नयना प्यारे हृदय की पूर्ण हुई थी जो अशिया
सखी री मैं तो घूम -----




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Lekhram Yadav said

अवध का बहुत सुन्दर वर्णन, आपको सादर नमस्कार अर्पिता जी।

Arpita pandey replied

बहुत बहुत धन्यवाद आपका सादर प्रणाम आपको

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