जाने कब रुक जाए जिंदगी साँसों में खींचातानी है,
मौत है बड़ी वफादार, एक दिन तो उसको आनी है।
आए जिस दिन मूँछों पे ताव, चेहरे पे मुस्कान हो,
देख के गर डर गया जो वो जवानी क्या जवानी है।
जिस रोज आएगी लेने तनकर खड़ा मिलूंगा सामने,
आँख से आँख मिला कर, उसे भी आँखें दिखानी है।
अजीब रिवाज है साथ छोड़ने वालों को चाहते सभी,
नफरत करते उससे जो दिल-ओ-जान से दीवानी है।
एक रोज करनी है, उससे एक मुलाकात फिर बात,
चलेगा सिलसिला कुछ उसका सुन अपनी सुनानी है।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




