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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ - अनामिका जैन अंबर

Feb 24, 2025 | कविताएं - शायरी - ग़ज़ल | लिखन्तु - ऑफिसियल  |  👁 268,918

रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ।
नैनों से रात-दिन मेरे बरसी है बदलियाँ ||

सबके घरों में जा जा उतरी है बदलियाँ |
आँगन से मेरे क्यों नहीं गुजरी हैं बदलियाँ ||

सुबह के जूड़े में फूल टाँक जाओ तुम ।
संध्या के कंगनों पे किरणें बाँट जाओ तुम ||

होठों से होंठों का परिचय अधूरा है ।
मुझको सिन्दूरी रिश्ते में बाँध जाओ तुम ||

आ जाओ बरस जायें जो बिखरी हैं बदलियाँ ।
रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ ॥

सावन में पतझर की सूनी ये शाखें क्यों ।
कजरारी पानी भरी प्यासी ये आँखे क्यों ॥

मन में अँधियारे खण्डहर का है सूनापन |
खिलते कमलों की मुरझाई पाँखे क्यों ||

प्रश्न मुझसे पूछती रहती हैं बदलियाँ ।
रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ |

पलकों पर स्वप्न कोई सजते सजते टूट गया।
अधरों से अनबोला स्वर कोई छूट गया ||

पिघल – पिघल बह गया ये हृदय पाषाण का ।
संवेदन अन्तर का थमते – थमते फूट गया ।

फिर भी तुम्हारी राह तो तकती है बदलियाँ।
रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ |




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Lekhram Yadav said

बहुत ही खूबसूरत और मन मोहनी रचना, आपको सादर नमस्कार

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