जिस माटी में पला-बढ़ा,
उसकी खुशबू जुबान से आती।
उसकी संस्कृति जैसी भी,
पोशाक से पहचानी जाती।
पानी में घुली 'उपदेश',
तासीर रंगो से पहचानी जाती।
इंसानियत सभी में भरी,
मतभेद से जानी जाती।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद
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उसकी संस्कृति जैसी भी,
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इंसानियत सभी में भरी,
मतभेद से जानी जाती।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद