कोई आया कोई गया कोई जाने वाला है
ये सँसार चक्र जिसका कोई ठहराव नहीं है ।।
ये मेरा ये तेरा भेद भरममें फंसा संसारी है
वास्तवमें सब भूतपूर्व उसमें भी संशय है ।।
सुनता कौन किस को मायामें जादूगरी है
आध्यात्मिक होना भी जैसे एक फ़ैशन है ।।
पीड़ा कहे मैं खूब हूं फैली पर कौन डरे है
यातना भी हारी वो कहें इलाज सबका है ।।
जन्म मरण भी मर्यादा की ऊपर हो रहे हैं
अब तो इंतज़ार नहीं पर ख़त्म भी कहां है ।।