उनसे गर कोई बात होती, तो कोई बात थी..
उड़ती सी निगाह, और यूं ही मुलाकात थी..।
हम तो देखते रह गए, आपके अंदाज़ जुदा..
सब बाज़ी आपकी थी, हमारी बस मात थी..।
ख्यालों में तो बहुत गुफ्तगू हुई, हमारी जनाब..
रूबरू में निगाहों पर भी, बहुत एहतियात थी..।
आसमां में अब भी बहुत नमी नज़र आती है..
वो बादलों की थी, या आंसुओं की बरसात थी..।
मैं फुरकत में रोया था, मगर आंसुओं के बगैर ही..
हंसने की वजह न मिली बड़ी मुश्किल हालात थी..।
पवन कुमार "क्षितिज"