रंग बिरंगे सपने भी क्यो आ जाते संग तेरे।
पीछा नही छोडते अब प्यारे लगते व्यंग तेरे।।
तेरी बातो का जादू मुझको सम्मोहित करता।
दिल होता मेरा बेकाबू जब टच होते अंग तेरे।।
तेरे रंग में मन डूबा था अब बेशक इतराया।
आँखो का इशारा पाकर हो जाऊँगा संग तेरे।।
जब तुम को बाहो में भरता मदहोशी आती।
हो जाता रंग में सराबोर 'उपदेश' संग तेरे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद