तुम्हारे बिन जिन्दगी का सफर किस काम का।
सवाल उठते रहे उत्तर के बिना किस काम का।।
तुम्हारे बाद जो गुजरी है बताने के लायक नही।
अंधेरा देखता नही आइना भोर किस काम का।।
दागदार हो गया मर्जी अपनी रही नही 'उपदेश'।
जरूरत पूरी होती नही ये पैसा किस काम का।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद