"राजनीति "
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स्वार्थ से पनपतीं राजनीति
नये सब्ज बाग दिखाती राजनीति
वोट की खातिर जनता
को चोट पहुंचाती राजनीति
बेरोज़गारी बढ़ाती राजनीति
जनता को वर्ग और जाति में बांटती राजनीति
ऊंच-नीच का भेद बढ़ाती राजनीति
सत्य की जगह असत्य
को विजय दिलातीं राजनीति
आंतकवाद, भ्रष्टाचार
और अनाचार सब ओर
बढ़ाती यह राजनीति
कठोर हृदया है राजनीति
न्याय को खरीद अन्याय
से खूब छकाती राजनीति
कुर्सी की खातिर अपनों से
अपनों को लड़ाती राजनीति
भ्रष्टाचार और अनाचार से
कर्ण और दुर्योधन की मीत
निभातीं राजनीति
संसद में सांसदों से संसद
की मर्यादा का हनन
करवातीं राजनीति
झूठ,पाप और अनाचार
की जननी राजनीति
स्वार्थ से पनपतीं राजनीति
नये सब्ज बाग दिखाती राजनीति
✍️#अर्पिता पांडेय