ये गजल भी न होती ये महफिले भी ना होती
तो महोब्बतो के नाम पर कुरबानिया ना होती
मिलती ना कोई राह मिलती ना कोई मंजिल
इस जिंदगी में दोस्ती की कहानिया ना होती
सांसो में थी घुटन सी चारो तरफ धुंवा था
मर जाते हम कभी के जो याद भी ना होती
होते तबाही के मंजर हर गांव हर गली में
इस जिंदगी में यारो गर महोब्बत जो ना होती
ये राह तकते रहना भी उम्मीदों का हे चराग
गजले शायरी की जो कलमकारी भी ना होती
के बी सोपारीवाला