उतार-चढाव जिन्दगी में सुर-ताल की तरह।
उम्मीद जताई नहीं जाती माहताब की तरह।।
कभी आ कर कभी छुप कर देखता रहता।
तारो की दुनिया में 'उपदेश' बेज़ान की तरह।।
ऐसा लगता जैसे चाँद सितारे चिढ़ा रहे मुझे।
मेरी औकात बता रहा रजनीगंधा की तरह।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद