यार हमारे मिलते रहते हैं रहरह कर
जख्म पुराने खुलते रहते हैं रहरह कर
भूल गए वो बातें सब रहबर की जैसे
मसले कितने उठते रहते हैं रहरह कर
मुजरे की बस आदत होती है जिनको
तन्हाई में भी झुकते रहते हैं रहरह कर
हुश्न का जाल बिछाते हैं खूब शिकारी
चारा खूब दिखाते हैं मनको रहरह कर
दास तुम्हारी बस्ती में गुलशन का रस्ता
भंवरे ही आते जाते रहते हैं रह रह कर! !

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




