उपवन में फूलों की खुशबू रहती है हरदम
घर में रहनेवालों की खुशबू रहती है हरदम
दूर कोई जायेगा तो परदे हिलते हैं जोरो से
वापस आने पे सारी दीवारें सुनती हैं हरदम
खिड़की और दरवाजे देखते हैं चुपके चुपके
बोल नहीं सकते पर नजरें कहती हैं हरदम
खूब रसोई ख़ुश होगी सारे घर वाले आजाएँ
बर्तन को टकराके वो रहती हंसती है हरदम
दास उजाले और तम भी बातें करते हैं कुछ
खुशियों में सबकी दीवाली मनती है हरदम
पत्थरों को जोड़ने से घर नहीं बनता कभी
दिल जुड़े तब खुद जमीं घर बनती है हरदम