इस बार फिर दिवाली में नहीं आ पाऊंगा,
बम, चकरी, राकेट साथ नहीं छोड़ पाऊंगा,
तेरे हाथो से खीर-मिठाई नही खा पाऊंगा,
है त्यौहार ये बड़ा, तुझे खुश दिखना होगा,
अपने चेहरे पर मुस्कान यू भरना होगा,
दरवाजे के बाहर रंगोली तुझे बनाना होगा।
मैं कहीं भी रहूँ माँ मेरे साथ तेरा आशीर्वाद है,
ओ मेरी भोली माँ तेरा बेटा अभी आबाद हैं।
पता हैं उस रब को, पता है मुझको,
कि पड़ोसी के बच्चे घर आए होंगे,
बम, चकरी, राकेट, फुलझड़ी लाकर,
अपने घर खूब पटाखा जलाते होंगे,
झालर दीपक से अपने घर को सजाए होंगे,
तू मुझे हर पल हर समय याद करती होगी,
मन में मेरे आने की एक आस भरी होगी।
पर क्या कहूँ मेरी प्यारी माँ मेरे पास थोड़ा भी है वक्त कहाँ,
तुझे तो पता हैं भोली माँ कि तेरा बेटा अभी हैं व्यस्त यहाँ।
प्यारी माँ तू भोली बहुत हैं,
बाजार का भाव भी बहुत गरम हैं,
मोल भाव करने का तर्क नहीं हैं,
बापू के पास वक्त नहीं है,
पर सह ले सब परेशानी इसबार,
करले अकेले ही तू सब बाज़ार।
माना की त्यौहार बड़ा है पर तेरा बेटा तुझसे दूर बैठा हैं,
विद्यार्थी जीवन में त्याग करना ही सबसे बड़ा त्यौहार हैं।
पता हैं मुझको कि पिछले वर्ष भी, खुब रोई थी तू,
जब घर मैं नहीं आया था, पूरी रात न सोई थी तू,
घर में रखे सारे मिठाई-फल, वैसे ही थे सब पड़े रहे,
वही पड़ोसन के बच्चे सब, हलवा-पुड़ी पर थे लगे पड़े।
कर ना माँ तू मुझसे ये वादा, नहीं रोएगी इसबार तू ज्यादा,
पहन कर नए कपड़े उस दिन तुम, ख़ुशी के दीप जलाएगी।
तू गर्व कर माँ की लोगों का हैं आज दिवाली,
तेरे बेटे की अब उस दिन ही होंगी दिवाली,
जिस दिन इस मेहनत का परिणाम आएगा,
वही सुहानी रात अब तेरे बेटे की मने दिवाली।
चल अब है और कुछ दिन की बात, जल्द ही मिलने आऊंगा,
तेरे सपने को साकार कर, साथ दिवाली अगले वर्ष मनाऊंगा।
~ अभिषेक मिश्रा

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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