संदेह से बड़ा
जीवन में कोई दोष नहीं है
सन्तुष्टि हो अपूर्णता में
कोई पूर्ण नहीं है
पसंद मेरे जीवन में
मुझे कोई हस्तक्षेप नहीं है
सीमित हैं तुम्हीं तक हम
कोई अतिरिक्त नहीं है
समझो या न समझो
समझ जाओ तो अच्छा
हृदय में तुम्हीं तुम हो
कोई शेष नहीं है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद