प्यार के कुपोषित नजर आये या न आयें।
भूख के कुपोषित मजबूर क्या क्या खायें।।
बड़ा दर्द फैला है उन घरों के अन्दर देख।
व्यथा गहरा रही जमीन पर देखा न जायें।।
कच्ची उम्र में कमाने के तरीकों में उलझे।
लाचारी मन के अरमानो की कही न जायें।।
ज्ञान-विज्ञान का रास्ता रोक रही आस्था।
मयखाने की बात कारखानों तक न जायें।।
गरीबी हटाओ नारों तक सीमित 'उपदेश'।
सियासत की धूल जिससे उतारी न जायें।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद