यदि तुम्हें प्यार है किसी से
तो उसका भी इज़हार तुम्हें क्यों चाहिए ?
यदि उसके दीदार की चाहत तुम्हें हर पल रहती है
तो ऐसी ही चाहत उसकी भी हो यह तुम्हें क्यों चाहिए ?
यदि प्यार को तुम कोई व्यापार नहीं समझते
तो वो भी तुमसे प्यार करे ऐसा भी तुम्हें क्यों चाहिए ?
यदि प्यार दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना भी है
तो तुम्हें उस प्यार पर हक क्यों चाहिए ?
वन्दना सूद