"अधूरी दास्तान"
एक मुकम्मल दास्तान होती है,
हर अधूरी दास्ताँ के बाद,
मैं उससे कहाँ मिल सकी थी
फिर एक बार जुदा हो जाने के बाद।
थी बड़ी अज़ीज वो दोस्ती,
वो उसका अनकहा एहसास का संदल,
आज भी आ जाती है मुस्कुराहट इन होठों पर,
उसके याद आने के बाद।
अधूरा सा रहा वो पल, वो इश्क़, वो शाम,
वो खुद और अधूरी ही रही मेरी रूह भी,
सवाल कई बार किया खुद से ऐसा क्यूँ होता है,
दिल किसी से लग जाने के बाद।
लिख रही हूँ शब्द दर शब्द उसका वो अनकहा,
एहसास बेइंतहा खास है जो,
मुल्तवी कर दिया था जो दिल-ओ-दिमाग,
की जंग छिड़ जाने के बाद।
सच है मुकम्मल इश्क़, मुकम्मल जहाँ,
मुक़म्मल शख्सियत जरूरी नहीं हैं,
अधूरा दिल, अधूरी ख़्वाहिश, अधूरी मैं,
अधूरे तुम, नायाब हैं अधूरे होने के बाद।
उसकी अधूरी दोस्ती, उसके अधूरे एहसास,
शामिल हैं आज भी मेरी कविताओं में,
मुकम्मल हो रही है एक अधूरी दास्तान
तेरी कविता लिख जाने के बाद।
रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव ममरखा , अरेराज ...पूर्वी चम्पारण (बिहार )


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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