जब चाहत उबल कर बाहर न निकल पाए।
देरी हो जाए मगर तबियत न सम्हाल पाय।।
पाना आसान नहीं भूल जाना भी मुश्किल।
आँखें बन्द करने पर नींद नही पिघल पाए।।
सिर में दर्द और किसी से मिलने की चिंता।
वो खामोशी 'उपदेश' अकेलापन को बढ़ाए।।
बतायेगा कोई किस बीमारी का शिकार हूँ।
बाहर से ठीक अन्दर में धड़कन को बढ़ाए।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद