पन्ने आज जीवन के कुछ यूं पलट डाले
खुशियाँ थी कुछ पन्नो मे
तो कुछ मे दुःख के बादल थे डेरा डाले।
कुछ मे मै महकती हूँ
कुछ मे मै चहकती हूँ।
कुछ पन्ने अब भी गीले है
आसूंओ से मेरे भीगे है।
अपनो से बिछुड़ने का है ये गम
दुःख का मेरे है करूण रुदन।
-राशिका