इन पन्नों पर उड़ेल देना चाहता हूँ ग़ज़ल।
सात्विक निश्चल प्रेम में लिखता हूँ ग़ज़ल।।
कैसे सम्भव हुआ सही से पता ही नही मुझे।
मगर य़ह सच है तुम्हीं ने शुरू की थी पहल।।
नीलगगन से ओझल हो रहा था जब सूरज।
मन की पोटली खोलते दिल रहा था मचल।।
जज्बाती होकर उठाए प्रश्नो को लपेट कर।
तरह-तरह के रास्ते सुझाए तकरीर के पल।।
अक्सर कह कर भी कह नही पाता 'उपदेश'।
ऊँची नीची बातों में तुम्हारा दिखता दखल।।
तुम्हें ही पता होगी वो बात अपने बीच की।
पहली ही नजर में दबोचते निकला था हल।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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