बंदरिया ने कान छिदाए,
कान में पहने झुमके।।
लहंगा चुन्नी पहन बंदरिया,
लगा रही थी ठुमके।।
देख रहा था नटखट बंदर,
उसका कमर मटक्का।
बंदरिया का नाच देखकर,
रह गया हक्का-बक्का।।
बंदरिया तो मानो अपने,
होश खो गई दिल का।
इतने में बंदर ने केला,
खाकर फेंका छिलका।।
सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई,
बंदरिया गिरी धमाका।
ही ही ही ही हंसा जोर से,
बंदर लगा ठहाका।।
✍️✍️शिखा प्रजापति
रसूलाबाद कानपुर देहात

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




