सरस्वती बहे गंगा के किनारे,
प्रेम भरा वसंत, हरियाली भरे वारे।
पंचमृत से सौंधीत हैं हवाएं,
मधुर सुर में गूंथी, रंगीन ताराएं।
पतंग लहराएं, फूलों की बातें कहें,
फिर चिड़ी रात, सितारों में रंगीन रातें।
आँधीयों की मिठास, गाती हैं प्रेरणा,
हरियाली से लिपटी, प्रकृति की स्वर्गद्वारा।
पर्वतों में बजता, कोयल का संगीत,
वसंत ऋतु की बातें, हृदय में हैं गहराईयाँ।
नीला आकाश, हरियाली की साक्षात्कार,
आत्मा में बसता, प्रेम का प्यार।
- अशोक कुमार पचौरी