रकीब सा कोई बात करने आये।
रंजिश छोड़कर हाथ थामने आये।।
हवा से खटक जाता दरवाजा मेरा।
हकीकत में कोई खटकाने आये।।
शाम होने से पहले चमत्कार हो।
नींद के पहले आँख मिलाने आये।।
बाते शुरु हो फिर ना रुके 'उपदेश'।
इस तरह मोहब्बत में जगाने आये।।
ख्वाब में आई खुशियाँ टिक जाए।
वापिस वही रंगीन दिन सुहाने आये।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद