गलत न होते हुए भी गलत कहलाना,
कितना मुश्किल है खुद को समझाना।
इतना आसान भी तो नहीं जनाब की,
समेट कर सब, टूट कर बिखर जाना।
जिन हालातों में गुजर रही है जिंदगी,
बड़ा मुश्किल था अपने को बचा पाना।
मैंने जिसको भी बतलाया अपना गम,
सबने यही कहा ज़रा फिर से दुहराना।
अपने दर्द को भी मुस्करा के लिखना,
इतना आसान कहाँ अंदाज़-ए-शायराना।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




