प्यार में इतनी दीवानगी न हो के न ये दुनियां बन सके और न वह दुनियां
कौन जाने _ कौन जाने _ मौत के बाद हम कहां और तुम कहां होगी
मुम्किन नहीं तेरा और मेरा कारनामा एक जैसा हो जुदा जुदा भी हो सकता है
प्यार और क़िरदार में फ़र्क हैं बहुत_नफ्स अंधी हो तो आचरण की मौत होती है
कौन जाने मौत के बाद हम कहां और तुम ....
दुनियां में खेती होती है मुर्दे लोग क्या खेती करेंगे जमीन के अंदर
अक्ल वो हिक्मत था जिस आदमी में झूठ की खेती न किया तो धन न आया
धन से दुनियां में जमीं खरीदा जा सकता है मौत के बाद जन्नत नहीं
दुनियां जितनी बड़ी है कि करोड़ों दुनियां समा जायेगा एक जहन्नुम में
कौन जाने _ कौन मौत के बाद हम कहां .....
वसी अहमद क़ादरी ! वसी अहमद अंसारी
दरवेश ! कवि ! लेखक ! मुफक्किर ! व्यूवर
11 जून 2025