पता मालुम, उससे कुछ नहीं हासिल।
चाह में रहती, हकीकत मे नहीं शामिल।।
अब तेरी कोई बात नहीं, मलाल जिंदा।
आँसू पोछने के लिए, होती नहीं शामिल।।
बेवजह याद आती, जाती नहीं दिल से।
मशविरा देने के लिए, होती नहीं शामिल।।
इश्क के मायने, क्या केवल दर्द ही होता?
नजर के सामने, 'उपदेश' होती नहीं शामिल।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद