कापीराइट गजल
खूबसूरत ये अपनी कहानी न थी
कमसिन बहुत यह जवानी न थी
नजरें उठाकर कभी देखा ही नहीं
इस मोहब्बत में वो रवानी न थी
हम कहते भी क्या जा कर उनसे
इसमें उसकी कोई, नादानी न थी
कितने दिन महिने ये साल गुजरे
मौसम की कोई, मेहरबानी न थी
देखते रहे उनको खामोशी से हम
अश्कों से भीगी, ये कहानी न थी
दिल दे न पाए चाह कर भी उसे
यह बात किसी को बतानी न थी
कहते हैं सभी अब कह दो यादव
सौदा था दिल का, कहानी न थी
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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