पल भर हंसने की चाहत ने उम्र भर मुझको रूलाया है
कोई नहीं है फिर भी लगता कोई तो बुलाया है
जितनी बार छली गई आँखें भी छलकती गई
ज़ख़्मों को छुपा कर मैने फिर भी मुस्कुराया है
जल-जल कर बिखरती रही फुलझड़ी की तरह
फिर ठंढ़ी आहें भरना सिखाया मुझको मेरा ही साया है