मुस्किलो में डगर में नाव फंस जाती है जब भवर में,
अगर प्रयास न करता तो क्या करता,
आगे न बढ़ता तो क्या करता,
हर बार समास्या विकट खड़ी है,
तूफानों की घनघोर घड़ी है...
उन तूफान से ना लड़ता तो क्या करता,
असमंजस में जीवन है कर्तव्यो से विमुख हो गया हूँ,
रिस्ते निभाऊं केसे एहसानो तले दब गया हूं,
अब प्रयतन ना करता तो क्या करता,
अब परीक्षा की घड़ी चल रही है,
अब तेरे दर पर निगाहें टिकी हैं,
तुझपे विश्वास ना करता तो क्या करता,
तुझपे आश न करता तो क्या करता,,,
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




