दूध उबलता प्रथम आंच पर
सेंक झेलता गर्म आग की।
जामन लगा जमाया जाता
दे पटखनी मथनी में माटकी।
ज्यों-ज्यों फिरती मथनी अंदर
त्यों-त्यों ऊपर माखन आता।
कर एकत्रित सब अंगुलिन से
कुछ दिन बाटिन राखा जाता।
जब भर जाती औछिन बाटी
तब फिर बड़ा कढ़ाया ला के।
आंच चढ़ा माखन को भूने
तब कहीं जा के शुद्ध घृत पाते।
ऐसा ही है मानव जीवन
शुद्धता की परख ही और।
जब जागोगे तभी सवेरा
जब आंख खुले तभी होती भोर।
मनीषा सिंह..