उनकी बेइंतहा रूखाई पर, और ग़ज़ल अब नहीं..
वफ़ा के बदले बेवफाई पर, और ग़ज़ल अब नहीं..।
आंखें बरसी मगर, दुनिया ने वज़ह कुछ जानी नहीं..
दिल की दिल से सफाई पर, और ग़ज़ल अब नहीं..।
चमन में गुल खिलाने को, बागबां था बहारें भी थीं..
तभी उस भंवरे हरजाई पर, और ग़ज़ल अब नहीं..।
ज़माना जिसके इश्क में मुब्तिला था, कोई हद तक..
गुज़रे वक्त से उस सौदाई पर,और ग़ज़ल अब नहीं..।
उसकी गेसुओं में गिरफ्त थे, उसमे मर्ज़ी थी अपनी..
बे–मर्ज़ी की उस रिहाई पर, और ग़ज़ल अब नहीं..।
बहुत छुपाए रखी दिल में, आरजूएं तो हासिल क्या..
उस तमन्ना–ओ–तमन्नाई पर, और ग़ज़ल अब नहीं..।
ज़माने पर ज़माने गुज़रे, और जो बदल ही गई अब..
उस बे–रौनक आशनाई पर, और ग़ज़ल अब नहीं..।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




