कापीराइट गीत (भजन)
तेरे दर्शन को भटक रहा हूं मैं रोज सुबह और शाम
तेरे सिवा कुछ याद नहीं और नहीं अब कोई काम
ये बाग बहारें और मस्ती ना जाने कब से छूट गई
मेरी ये बैरन नींदें जाने कब ख्वाबों से रूठ गई
अब मेरी जुबां पर आता है सबसे पहले तेरा नाम
तेरे सिवा कुछ याद.................
तेरी चाह ने फिर मुझको दर-दर यूं भटकाया है
अब सांझ सवेरे दिल पर मेरे तेरा जादू छाया है
तेरी इस प्यारी मूरत को झुक कर करता हूं प्रणाम
तेरे सिवा कुछ याद ................
कभी तो मुझसे बात करो मुझको ऐसे तड़पा ना
कभी तो बोलो तुम मुझसे दो बातें कर जाओ ना
रोज बुलाता हूं घर अपने करता हूं मैं रोज सलाम
तेरे सिवा कुछ याद ................
तुम से मिलने की खातिर मैं रोज यहां पर आऊंगा
तेरे इन प्यासे होठों पर जल की दो बूंद चढ़ाऊंगा
मैं धन्य हो गया दर्शन पाकर ओ मेरे साई मेरे राम
तेरे सिवा कुछ याद ................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




