एक तरफा कोशिश की खुशबू में झूमे।
लटकी तस्वीर को दूर से देखकर चूमे।।
थी ओतप्रोत छलकाती जाम आँखों से।
निहारती मोबाईल में सेल्फी लेकर झूमे।।
इंतजार उस पल का जो आता ही नही।
बेरहमी से चहल कदमी में आँगन झूमे।।
ख्वाब में बड़बड़ाते शब्द समझ न आए।
रिश्ता कायम करने को अंतरात्मा झूमे।।
बनने से पहले रिश्ते बिखरने का अंदेशा।
सोच सोच कर 'उपदेश' प्यासा मन झूमे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद