कुछ कर्ज़ तेरा कुछ अहसान तेरे,
कैसे चुकाऊं ना है कुछ पास मेरे,
भिखारी हूं तेरे दर का में,
अब तो सुन ले तू कुछ पैगाम मेरे,
समझता कौन है ना समझ बन गई दुनिया,
तुझको कैसे बताओ इक इक हालात मेरे,
बंद तकबीर मेरी एक आश सी जगी है,
अपने कर्तव्य से विमुख होकर मै,
कैसे दर आऊं तेरे , कैसे दर आऊं तेरे,
सर्वाधिकार अधीन है