ओढ़ निशा को चपल चांदनी
मन को आकर विचलित करती
नीरवता की ध्वनि विकट है
दृश्य गगन का अतुल मनोरम
तारों की झिलमिल सेना के
बीच खड़ा हे , ये मेरा मन
शीतलता सी लिए हवाएं आएं जाएं
जुगनू आकर आस पास राहें चमकाएं
तमस ने रंग के नील गगन को
श्याम रंग कर डाला
और गले में डाल सितारों की
उज्जवल सी माला
दुग्धमेखला बेणि बनकर
नागिन सी लहराए
चंद्रकिरण अपनी किरणों से
और अधिक चमकाएं
जगह जगह पे उमड़े घुमड़े
बनकर मानो प्रहरी ये घन
तारों की झिलमिल सेना के
बीच खड़ा है ये मेरा मन
साक्षी(शशि) लोधी