ओ बाबा...
हर पल ढूंढा तुझे
फिर ख़ुद में खोजा तुझे
तूं मिला मन के कोनेमें
फिर क्या होशमें बेहोश थे
बंध थी आंखें
फिर भी देखें तुझे
हंसता था मुख तेरा
फिर समझें तूं तो इशारा करे
दर्शन के अभिलाषी थे
आतुर मन के चंचल थे
फिर क्या द्वार खड़े रोते थे
ओ बाबा.... हम सिर्फ़ तोरे थे