कुछ वक्त ठीक गुजरा जब रहे स्कूल में।
इश्क भी हुआ हमारी नादानी में भूल में।।
सैर करने की लत बम्बा तक चले जाना।
चारा लेकर लाना कबड्डी खेलना धूल में।।
बाग में टहल कर रंग-बिरंगे फूल देखना।
पसंद आने पर 'उपदेश' तोडना उसूल में।।
कुछ पेड़ो के पत्ते पीले होकर झड़ने लगे।
पूछा माली से बताया रोग उसके मूल में।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद