पहले मैं पढ़ाई करता था
सपनों की किताबें पलटता था
अब ईंट–गारा उठाता हूँ
धूप में, पसीने में जलता हूँ।
पत्नी जीत गई है अदालत में
उसे अब रोज़गार भत्ता जो देना है
वादा हुआ था साथ निभाने का
पर वो अब कानून का आदेश कहती है।
मैं हार गया, वो जीत गई
पर क्या सच में कोई जीता है?
प्रतीक झा 'ओप्पी'
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज