किसी शायर का हाल - ए - दिल हो तुम,
किसी शायर की कलम की स्याही हो तुम।
और क्या कहूं तुम्हारे लिए ?
किसी शायर की बेमिसाल शायरी हो तुम।।
किसी कवि का जज़्बात हो तुम,
किसी कवि की ज़िंदगी हो तुम।
और क्या कहूं तुम्हारे लिए ?
किसी कवि की मशहूर कविता हो तुम।।
किसी शायर का दर्द हो तुम,
किसी शायर का मर्ज़ हो तुम।
और क्या कहूं तुम्हारे लिए ?
किसी शायर की कलम से निकला
हर हर्फ़ हो तुम।।
किसी कवि पर उतरी आमद हो तुम,
किसी कवि का क़वायद हो तुम।
और क्या कहूं तुम्हारे लिए ?
किसी कवि पर बरसी ख़ुदा की इनायत हो तुम।।
किसी शायर का ख़्वाब हो तुम,
किसी शायर का बदला हुआ मिज़ाज हो तुम।
और क्या कहूं तुम्हारे लिए ?
किसी शायर का शायराना अंदाज़ हो तुम।।
किसी कवि का रूबाब हो तुम,
किसी कवि का ख़िताब हो तुम।
और क्या कहूं तुम्हारे लिए ?
उसे चमकाने वाला मेहताब हो तुम।।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️