हर घड़ी दिल ये बेक़रार क्यूँ है,
खुद से दिल तुझपे गिरफ़्तार क्यूँ है !!
आने को आये हैं सब मेहफ़िल में,
इक तुम्हारा ही इन्तज़ार क्यूँ है !!
तुम जो होते तो रंगत ही कुछ और होती,
शायरी-हुस्न की तास़ीर ही कुछ और होती
तोहफ़े सबसे मिले कुछ ना कुछ लेकिन,
इक तेरी ही कमी मुझको बार-बार क्यूँ है !
----वेदव्यास मिश्र
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