कहते हैं कि ,
नसीब से मिलता है सब कुछ।
मूर्खों को भी जन्नत,
पागलों को कुछ कुछ।
किस्मत का चक्कर है अजीब सा,
कभी ऊपर कभी नीचे।
ये खेल है निराला,
पढ़े-लिखे रह जाते हैं हाथ मलते।
मूर्खों की किस्मत ,
चमकती रहती है।
मेहनत करते हैं दिन रात,
फिर भी नहीं मिलता मनचाहा फल।
पागल बोलते हैं कुछ भी,
फिर भी मिल जाता सब कुछ।
नसीब का खेल है ये,
कभी हंसाता है कभी रुलाता है।