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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

नज़रें फेर लेती है – कमलकांत घिरी

बड़ी बेसब्र से खड़ी चुपके से वो मुझे देख लेती है,
देखते ही उसे चेहरे पर मेरी एक नन्ही मुस्कान घेर लेती है,
बहुत खूब पहचानती है वो मुझे मेरे अक्स से,
वो आइना उसे ना देखूं तो वो भी मुझसे नज़रें फेर लेती है...!

--कमलकांत घिरी.✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

Wah...wah

कमलकांत घिरी replied

धन्यवाद सर जी आपका 🙏

Lekhram Yadav said

बहुत खूब कमलकांत भाई, मगर आप भी तो हमसे नजरें फेरे ही बैठे हो, कहीं नजर नहीं आते।

कमलकांत घिरी replied

नजरें नहीं फेरे सर जी आपको हम अक्सर निहारते ही रहते हैं, आप भी अपनी नज़र हम पर बनाए रखियेगा, समीक्षा के लिए शुक्रिया सर जी 🙏 प्रणाम 🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah 👌 bahut sundar

कमलकांत घिरी replied

शुक्रिया दीदी जी 🙏

Tulsi patel said

👏🏻👏🏻 हमें भी कभी मिलाइए उनसे जो आपको देखकर नजरें फेर लेती हैं।।

कमलकांत घिरी replied

Unse to aap bhi wakif hai, usme batane jaisi koi baat nahi tulc ji😊

वन्दना सूद said

वाह वाह क्या बात 👌👌

कमलकांत घिरी replied

शुक्रिया मैम 🙏

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