पापा आखिर ऐसे क्यों है आप.....?
पापा क्यों इतनी तकलीफ़ उठाते हैं आप मेरे लिए,
क्यों हर वक्त दुनियां से लड़ जाते हैं आप मेरे लिए।
बचपन से देखती आई हूॅं,
हर दर्द जो है मेरे हिस्से का उसे अपना बना लेते हैं आप।
बचपन से देखती आई हूॅं,
आज पच्चीस बरस हो गये हैं
आज भी मुझसे उतना ही प्यार करते हैं
जितना बचपन में किया करते थे आप।
लड़खड़ाते हुए पैरों से,इस उम्र में भी,
हो चाहे कड़ी धूप,हो चाहे जाड़े की कड़कती ठंड
या फिर हो सावन की लगी घनघोर बरसात की झड़ी, मेरे साथ मेरी हर तकलीफ़ में हमेशा खड़े रहते हैं आप।
पापा अपनी तकलीफ़ किसी को बताते नहीं
है आप,
रह ना जाए मेरी तकलीफ़ों को दूर करने में कोई कसर
इसलिए अपनी तकलीफ़ों को सहते रहते हैं आप
पापा आखिर ऐसे क्यों है आप.....?
"रीना कुमारी प्रजापत"