जाने क्यूं नैन अश्रु धार बहाते हैं
रह रहकर क्यूं सिसक से जाते हैं
कभी रोते से मुस्कुराते हैं
और कभी मुस्करा कर रोते हैं
जाने क्यों नैन अश्रुधार बहाते हैं
आखिर किस दुख से यूं ही भर आते हैं
भरा पूरा सा पर थोड़ा अधूरा सा
है मेरा एक छोटा घर संसार
क्या यह परिपूर्णता को तलाशते हैं
जाने क्यूं नैन अश्रुधार बहाते हैं
चहुं ओर से सुख की हो रही आमद हैं
फिर भी हर आहट से घबराते हैं
खुशियां तो बहुत है पर आंचल
आज भी खाली है
जाने क्यूं नैन अश्रुधार बहाते हैं
ज्ञान गोदड़ी में गोते लगाते है
फिर भी भटक से जाते हैं
छल कपट और दम्भ से भरी
दुनिया जानकर भी छले जाते हैं
हर रिश्ता पैसों से बना
पर मोह माया में फंस जाते हैं
जाने क्यूं नैन अश्रुधार बहाते हैं
रह रहकर क्यूं सिसक जातें हैं
✍️#अर्पिता पांडेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




