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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

नहीं है ये कोई मज़बूरी.....

जिम्मेदारियों की एहसास ज़रूरी है ।
यह कोई समस्या ना हीं कोई मज़बूरी है ।
बस हाथ से हाथ मिलाओ सारा जहान पाओ।
अकेले अभिमान में चलना कोई बहादुरी नहीं अपितु जो सबको साथ ले चलता वही
स्वाभिमानी है।
है यह देश अपना बड़ा हीं बीच मझधार से निकलकर आया ।
लाखो आक्रांताओं से लड़कर हीं है ये निजात पाया ।
ये आज़ादी मिली है तो इसको दोषारोपण में ना बिताओ।
अपनें सारे जज़्बातों जुनूनों को कुछ नया करने में लगाओ।
बड़ी मुश्किल से भरता है भाई गरीबी की घाव।
वरना जिंदगी बिक जाती है अक्सर पाव पाव ।
ना रुको संकोच करो ना शर्माओ ।
जीवनपथ पर दौड़ लगाओ ।
जो संग चलना चाहे उसको संग ले चलो
की तू है मां भारती का लाल
तुम इसकी गौरव गाथा को और बढ़ाओ।
बन के दिल धड़कन आंखें देश को समझ जाओ।
जिम्मेदारियों की एहसास जगाओ।
कर्मठता मज़बूरी नहीं ज़रूरी है
मेहनत एकता शांती सौहार्द समरसता हीं
देश की विकास की धुरी है।
और जिम्मेदारियों की एहसास के बिना कुछ भी ना पूरी है।
इसलिए जिम्मेदारियों की एहसास हर भारतवासी के लिए है ज़रूरी ।
है यह तरक्की प्रगति की धुरी ।
नहीं है ये कोई मज़बूरी.....
नहीं है ये कोई मज़बूरी.....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Suprabhaat aanand sir pranam sweekar karein🙏🙏 bahut sundar prastuti, subah savere itni Sundar prastuti padhkar Anand aagya

Arpita pandey said

Nice lines

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