मेरे ख्याल रंगीन रंगोली बनाते रहते अन्दर।
उम्मीद छोड़ी नही उछलता कूदता समुन्दर।।
सुहावनी भोर तुम मेरी अँधेरा कैसे डरायेगा।
भरोसा प्रेम पर मुझको खुशी बढ़ाता अन्दर।।
रिश्ता बनने में देरी लगी इतनी दया रखना।
फ़िक्र एहसास सब तुमसे संभालता अन्दर।।
बहारें खुशनुमा छेड़े शरारत दिल करे तुमसे।
संग जब से मिला अठखेलियाँ करता अन्दर।।
मोहब्बत तेरी है मेरी अंदाजा लगाना आसान।
वक्त बेखौफ माफ़िक 'उपदेश' इतराता अन्दर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद